आज इंटरनेट के युग में हर दिन लाखों GB के डेटा का आदान-प्रदान होता है. चाहे हमारी फेसबुक की तस्वीरें हों, या फिर ईमेल के अटैचमेंट. ये सारा डेटा, बड़े-बड़े सर्वर्स में सेव कर के रखा जाता है. कभी गूगल के डेटा सेंटर का वीडियो देखिएगा, आपको समझ आ जायेगा कि कितनी जगह, लागत, ऊर्जा और मैनपावर लगती है इसे चलाने में. ये '0' और '1' का खेल है तो बड़ा रोचक, लेकिन एक समय आएगा जब हमें बेहतर स्टोरेज उपकरणों की ज़रुरत पड़ेगी और वो समय जल्द ही आने वाला है.

UK के शोधकर्ताओं ने ऐसी 5 डायमेंशनल (5D) डिजिटल डिस्क बनाई है जिसमें 360 टेराबाइट्स का डेटा 13.8 बिलियन सालों तक स्टोर कर के रखा जा सकता है. इस डिस्क को बनाने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ़ सोउथेम्पटन के शोधकर्ताओं ने 'फेम्टोसेकंड लेज़र राइटिंग' विधि का उपयोग किया है. इस विधि में अल्ट्राफ़ास्ट लेज़र से छोटी सी ग्लास डिस्क पर रौशनी की किरणों को मारा जाता है. नैनो-टेक्नोलॉजी के उपयोग से ये किरणें 3 लेयर्स में डेटा को स्टोर करती हैं. ये किरणें अतिसूक्ष्म बिन्दुओं का निर्माण करती हैं और बाकी की 2 लेयर्स इस बिंदु या 'डॉट' का परिमाण और ओरिएंटेशन होता है. तो ऐसे बनती है 5D डिजिटल डिस्क.

इस डिस्क को बनाने वाली टीम बताती है कि इसका उपयोग उन संस्थानों के लिए बहुत लाभकारी होगा जिन्हें लाखों-करोड़ों GB का डेटा स्टोर कर के रखना पड़ता है. जैसे लाइब्रेरी, म्यूज़ियम या फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी आईटी कंपनियां.

इस टीम के सदस्य, पीटर कज़ेंस्की कहते हैं कि 'इस टेक्नोलॉजी से हम अपनी पीढ़ियों को अपनी सभ्यता और संस्कृति से अवगत करवा सकते हैं. जो भी हमने सीखा है, वो कभी भुलाया नहीं जाएगा'.
मज़ेदार बात ये भी है कि इस डिस्क को बड़ा ही अच्छा नाम दिया गया है- 'सुपरमैन मेमोरी क्रिस्टल', जो सुपरमैन की फ़िल्मों से प्रेरित है. एक और ख़ास बात, इस डिस्क में न ही सिर्फ़ कई GBका डेटा सेव हो सकता है, बल्कि 1000 डिग्री के तापमान को भी ये डिस्क झेल सकती है. इस वीडियो में देखिये कि कैसे इस डिस्क में डेटा स्टोर किया जाता है.
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